Monday 8 July 2019

31वें आम महोत्सव का शुभारंभ दिल्ली हाट-जनकपुरी में

तीन दिवसीय 31वें आम महोत्सव का आज श्री मनीष सिसोदिया, माननीय उप मुख्यमंत्री व पर्यटन मंत्री, दिल्ली सरकार द्वारा जनक पुरी दिल्ली हाट में उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर श्री शूरबीर सिंह, प्रबंध निदेशक एवं मुख्यकार्यकारी, दिल्ली पर्यटन, श्री डी. वर्मा, महाप्रबंधक, श्री राजेंश ऋषि, विधायक, जनक पुरी एवं अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। आमों की अनेक किस्मों को देखकर मुख्यमंत्री ने दिल्ली पर्यटन द्वारा किए जाने वाले उत्सवों की सराहना की और इस अवसर पर कहा कि हम आम है, पर खास है, साथ ही बागवानों द्वारा की जाने वाली अद्भूत कार्यशैली को सराहा जो कि हम आम जन के लिए प्रत्येक वर्ष एक नई प्रजाति का सृजन करते है। दिल्ली पर्यटन द्वारा 1987 से प्रतिवर्ष आम उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। आम महोत्सव में जहां अनेक दुर्लभ किस्मों व अंगूर से लेकर पपीते तक के आकार के आमों को प्रदर्शित किया गया। जिसमें हुस्नआरा, रटौल, रामकेला, केसर, मल्लिका, आम्रपाली, लीची, हाथीझूल, बैगनपल्ली, हिमसागर के साथ लंगड़ा, तोतापरी, फ़जली, दशहरी आदि - आदि है। आम’’ भारत का मूल पेड़ है। आम का पहला पेड़ भारत में करीब 5000 वर्ष पूर्व पाया गया था। दुनिया में सबसे बड़ा आम उत्पादक देश भी भारत ही है। दुनिया में हर साल औसतन करीब 5 करोड़ टन आम का उत्पादन होता है इसमें से लगभग 40 फीसदी उत्पादन अकेले भारत में ही होता है।मैंगनीफेरा इंडिका - भारतीय मूल का होने की वजह से इसका वैज्ञानिक नाम है। चौथी व पांचवी सदी में बौद्ध धर्म प्रचारकों के साथ भारत से आम मलेशिया और पूर्वी एशिया फैला। पुर्तगाली इसे 16वें सदीं में ब्राजील ले गए, वहां से यह वेस्टइंडीज और मैक्सिकों पहुंचा। विश्व में भारत का कुल 64 प्रतिशत आम उत्पादित होता है। विश्व में आम की 1365 से भी ज्यादा किस्में पाई जाती है। जिसमें से लगभग 1000 किस्में भारत में ही पाई जाती है। आम की पैदावार सम्पूर्ण भारत में होती है, विशेषकर उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, बिहार, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और आसाम है।उत्तर प्रदेश का दशहरी, लंगड़ा, चौसा, महाराष्ट्र का अलफांसो, पश्चिम बंगाल का मालदा और हिमसागर, बिहार का जर्दालू और दक्षिण भारत का बैगनपल्ली ये सभी आम स्वाद और सुगंध में अपने विशेष हैआज आम विदेशी मुद्रा अर्जित करने का प्रमुख स्त्रेत बन गया है। खाड़ी देशों और यूरोप में भारतीय आम की बहुत मांग है। फलों का राजा आम बड़ी ही तेजी से विदेशी समुन्द्री तटों तक फैल चुका है। साउदी अरेबिया, यू.ए.ई., सिंगापुर, मलेशिया, जापान, अमैस्डम, चीन, मैक्सिको, वेनेजुएला, मलेशिया और अमेरिकी आदि देशों में भारतीय आम की भारी मांग है। वहीं दक्षिण पूर्व एशिया यानी फिलीपींस, इंडोनेशिया, जावा, थाईलेंड, बर्मा, मलेशिया और श्रीलंका के कई देशों में भी आम की खेती पाई जाती है। इस आम महोत्सव में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को भी अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करता है। जिसमें आम व आम से बने उत्पाद प्रमुख है। 30 वें आम महोत्सव में भाग लेने वालों में पारंपरिक आम बागवानों के किसान, सरकारी व गेर सरकारी संस्थाएं भाग ले रही है। जिसमे केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान लखनऊ, उद्यान निदेशालय लखनऊ, उ0 प्र0. गोविन्द बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय, पंत नगर,भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली एवं बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर आदि आदि है। आम उत्सव के मुख्य आकर्षण में महिला वर्ग में आम खाओ प्रतियोगिता 6 जून व पुरूष वर्ग में आम खाओ प्रतियोगिता का आयोजन7 जून को किया जाएगा। आम महोत्सव में ‘100 है दाम कितने भी खाओ आम’ भी है। एक ही छत के नीचे विभिन्न आकारों व प्रकारों के आमों की प्रदर्शनी, आम व आम से बने उत्पाद तथा पौधों की खरीदारी की जा रही है। हस्तशिल्प और हस्तकला के उत्पादों के स्टॉल, विभिन्न प्रकार के व्यंजनों के स्टॉल, बच्चों के लिए झूले, जादू का खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि है। दिल्ली हाट जनकपुरी का प्रवेश शुल्क 20/- रूपये मान्य है। तिलक नगर मैट्रो स्टेशन से उत्सव स्थल तक आने व जाने के लिए दिल्ली पर्यटन द्वारा निःशुल्क शटल सर्विस की व्यवस्था भी की गई है।

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