केंद्र सरकार ने सुप्रीम
कोर्ट में इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने के अपने फैसले का यह कहते हुए बचाव किया कि
यह पॉलिटिकल फंडिंग में 'पारदर्शिता
सुनिश्चित' करने
वाला और 'जवाबदेही' तय करने वाला कदम है। अपने
हलफनामे में इलेक्टोरल बॉन्ड को अहम चुनाव सुधार बताते हुए केंद्र ने कहा कि पहले
व्यक्तियों और कॉर्पोरेट द्वारा 'फंडिंग
के गैरकानूनी तरीके' अपनाते
हुए बड़ी मात्रा में कैश में पॉलिटिकल डोनेशन दिए जाते थे, जिससे चुनाव के दौरान जमकर
काले धन का इस्तेमाल होता था।केंद्र सरकार का यह रुख इसलिए अहम है कि चुनाव आयोग
ने अपने हलफनामे में कहा है कि केंद्र द्वारा तमाम नियमों में बदलाव से पारदर्शिता
के मोर्चे पर 'गंभीर
नतीजे' भुगतने
होंगे।.
केंद्र ने अपने हलफनामे में
कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड उच्च पारदर्शिता लाने, केवाईसी का पालन सुनिश्चित करने और कैश डोनेशन के
पुराने अपारदर्शी सिस्टम से अच्छा है। उसमें कहा गया है, 'भारत के निर्वाचन आयोग की
इस चिंता कि इलेक्टोरल बॉन्ड से विदेशी कंपनियों को भारतीय नीतियों को प्रभावित
करने की क्षमता मिल जाएगी, में कोई
वैधानिक और तथ्यात्मक मेरिट नहीं है।'
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