कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आज गुरुवार को
केरल के वायनाड लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल करने जा रहे हैं. राहुल वायनाड ऐसे ही
नहीं गए हैं बल्कि 'गांधी परिवार' का यहां से
भावनात्मक रिश्ता रहा है. राहुल गांधी के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी
से लेकर दादी इंदिरा गांधी तक का यहां से गहरा लगाव रहा है. इसी के नाते राहुल ने
वायनाड को चुना. साथ ही उनकी रणनीति यहां से केरल के अलावा तमिलनाडु और कर्नाटक को
साधने की भी है.
अमेठी के साथ-साथ केरल की वायनाड सीट से भी
राहुल गांधी ने चुनाव लड़ने का ऐलान करके इस इलाके को चर्चा में ला दिया. वायनाड
का देश में धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण स्थान है. यहां से
कांग्रेस का सिर्फ राजनीतिक रिश्ता नहीं है बल्कि गांधी परिवार की कई यादें भी
जुड़ी हैं.
1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्या के
बाद उनकी अस्थियों को केरल के कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री के. करुणाकरन ने
वायनाड के पापनाशिनी नदी में विसर्जित किया गया था. राजीव गांधी की अस्थियों को
विसर्जित करने के लिए पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के साथ राहुल गांधी खुद वायनाड
गए थे. राहुल ने अपने पिता की अस्थियों को लेकर पहले थिरुनेल्ली मंदिर में पूजा
अर्चना की और इसके बाद के. करुणाकरन के साथ वायनाड की पापनाशिनी नदी में उसे
विसर्जित किया था.
1991 में कांग्रेस नेता के. करुणाकरन ने राजीव
गांधी की अस्थियों के जरिए प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाया था. राजीव
गांधी की सहानुभूति का कांग्रेस को राज्य में जबर्दस्त राजनीतिक फायदा मिला था. 1991 के
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में वामपंथी दलों के नेतृत्व वाले एलडीएफ का प्रदेश से
पूरी तरह सफाया हो गया था और सत्ता पर कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ की वापसी
हुई थी.
1991 के लोकसभा चुनाव में केरल की कुल 20
सीटों में से कांग्रेस को 13, मुस्लिम लीग को 2, सीपीएम
को 3 और अन्य को एक सीट मिली थी. इसी तरह से 1991 के विधानसभा
चुनाव में सत्ताधारी वामपंथी गठबंधन को तगड़ा झटका लगा था. केरल की कुल 140
विधानसभा सीटों में से वामपंथी गठबंधन 50 सीट पर सिमट गया था जबकि कांग्रेस
नेतृत्व वाले यूडीएफ को 90 सीटें हासिल कर सत्ता में वापसी की.
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