राजनीतिक सुधारों की दिशा में काम करने वाली
संस्था एडीआर ने पश्चिम बंगाल में एक सर्वे कर वहां की जनता के मुद्दों और ममता
बनर्जी सरकार के कामकाज को परखने की कोशिश की. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जारी यह
रिपोर्ट ममता बनर्जी के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाली है. क्योंकि एडीआर ने जनता
की अपेक्षाओं पर सरकार के प्रदर्शन की पड़ताल की तो यह औसत से भी कम रहा. अक्टूबर से दिसंबर के बीच सर्वे कर तैयार इस रिपोर्ट में जनता से
जुड़े दस अहम मुद्दों के आधार पर सरकार के काम-काज का परीक्षण किया गया. रिपोर्ट
में तीन केटगरी GOOD, AVERAGE और BAD का उपयोग किया
गया था, जहां GOOD के लिए पांच अंक, औसत को 3 और BAD
के
लिए 1 अंक निर्धारित किया गया. एडीआर ने सर्वेक्षण में पश्चिम बंगाल की सभी 42
संसदीय क्षेत्रों से करीब 21 हजार लोगों से बात कर यह रिपोर्ट जारी की है. राज्य
में जनाधार बढ़ाने में जुटी बीजेपी अगर इन मुद्दों को भुनाने में सफल रही तो ममता
बनर्जी सरकार को लोकसभा चुनाव में तगड़ा झटका लग सकता है.
पश्चिम बंगाल सर्वे 2018 से पता चलता है कि
जनता रोजगार को सबसे बड़ा मुद्दा मानती है. इस मुद्दे को 39.28 प्रतिशत लोगों ने
उठाया. इसी तरह कृषि लोन की उपलब्धता(35.86) और कृषि उत्पादों की ऊंची कीमत तीसरा
बड़ा मुद्दा है. इन तीन अहम मुद्दों के आधार पर सरकार के प्रदर्शन की बात करें तो
रोजगार के मुद्दे पर ममता बनर्जी सरकार को 5 में 2.16 अंक, कृषि लोन में
2.26 और कृषि उत्पादों की ऊंची कीमत के मुद्दे पर 2.22 अंक मिले. यानी इन तीन
मुद्दों पर राज्य सरकार का प्रदर्शन औसत से भी कम रहा. वहीं पश्चिम बंगाल के
ग्रामीण इलाके की बात करें तो 49 प्रतिशत के साथ सबसे बड़ा मुद्दा कृषि लोन का
रहा. वहीं दूसरे स्थान पर कृषि वस्तुओं की कीमतें और खाद तथा बीज पर सब्सिडी को
जनता ने प्रमुख मुद्दा बताया. यहा् तक कि खेत सिंचाई के लिए पानी , बेहतर
परिवहन साधन भी उपलब्ध कराने में भी सरकार विफल रही.
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