Wednesday, 17 April 2019

भारत के 80 प्रतिशत लोग इस बीमारी से बेखबर, पुरुष आते हैं इसकी चपेट में ज्यादा

पिछले काफी सालों में हीमोफीलिया के इलाज के लिए चिकित्सीय प्रौद्योगिकी में सुधार हुआ है. लेकिन बावजूद इसके हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि खून की इस गंभीर बीमारी से पीड़ित करीब 80 प्रतिशत भारतीयों में इसका पता नहीं चलता क्योंकि दूर-दराज के इलाकों में सही निदान की सुविधाओं का अभाव है.चिकित्सकों ने 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस  पर कहा कि हीमोफीलिया के मरीजों के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है जहां ऐसे दो लाख मामले हैं. हीमोफीलिया रक्तस्राव की आजीवन चलने वाली बीमारी है, जो खून को जमने (क्लॉटिंग) से रोकती है.हीमोफीलिया फाउंडेशन ऑफ इंडिया के मुताबिक हीमोफीलिया के पीछे शरीर की एंटी हीमोफीलिक फैक्टर (एएचएफ) को पर्याप्त मात्रा में नहीं बना पाने की अक्षमता जिम्मेदार है. इस बीमारी का कोई ज्ञात इलाज नहीं है. अगर इसका जल्द पता नहीं चलता है तो जोड़ों, हड्डियों, मांसपेशियों में बार-बार खून बहने से सिनोविटिस, अर्थराइटिस और जोड़ों में स्थायी विकृति हो सकती है.

No comments:

Post a Comment

बीजेपी नेता रवि तिवारी ने सनातन धर्म और वैदिक शिक्षा का महत्व समझाया

 बीजेपी के युवा एवं उभरते हुए नेता रवि तिवारी  ने आज सनातन धर्म की पृष्ठभूमि पर आधारिक वैदिक शिक्षानीति को पुनः लागू करने की सम्भावनाओ एवं आ...