Friday 12 June 2020

GST Council का बड़ा फैसला- NIL जीएसटी वाले कारोबारियों की लेट फीस माफ

नई दिल्ली. कोरोना संकट के बीच पहली बार हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक खत्म हो गई है. जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी लेट फीस से परेशान कारोबारियों को राहत मिली है. बैठक में छोटे टेक्सपेयर्स को राहत देने पर सहमति बन गई है. सालाना 5 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर वाले कारोबारियों को फरवरी से जून 2020 के बीच रिटर्न फाइल करने पर सिर्फ 9 फीसदी ब्याज चुकाना होगा.जीएसटी काउंसिल के फैसलों पर एक नज़र- जुलाई 2017 से जनवरी 2020 तक लेट फीस माफ हुई. Nil GST वाले कारोबारियों की लेट फीस माफ होगी. GTB 3B के लिए लेट फीस 500 रुपये/महीने देना होगा. GST 3B के लिए एक विंडो मुहैया कराई गई है. विंडो 1 जुलाई से 30 सितंबर तक खुली रहेगी. 5 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर पर 18% की जगह 9% ब्याज लगेगा.वित्त मंत्री ने जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद कहा, जुलाई, 2017 से जनवरी, 2020 के दौरान मासिक जीएसटी बिक्री रिटर्न दाखिल नहीं करने पर अधिकतम लेट चार्ज 500 रुपये तय किया गया.यानी कोरोना वायरस शुरू होने से पहले जिन कारोबारियों पर टैक्स की देनदारी थी उनका लेट फीस कम कर दिया गया है. इसका फायदा 1 जुलाई 2020 से लेकर 30 सितंबर 2020 तक रिटर्न फाइल करने वालों को भी मिलेगा. जुलाई, 2017 से जनवरी, 2020 के दौरान शून्य जीसटी रिटर्न वाली पंजीकृत इकाइयों पर कोई लेट फीस नहीं लगेगा. वहीं 5 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर वाले कारोबारियों को फरवरी से जून 2020 के बीच रिटर्न फाइल करने पर सिर्फ 9 फीसदी ब्याज चुकाना होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि जीएसटी काउंसिल ने फुटवियर, खाद और कपड़ा क्षेत्र में उलट शुल्क ढांचा सुधारने पर गौर कर रही है. पान मसाले पर टैक्स को लेकर संवाददाताओं के सवाल पर उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि पान मसाले पर टैक्स लगाने को लेकर जीएसटी परिषद की अगली नियमित बैठक में विचार होगा.उन्होंने कहा कि राज्यों की मुआवजा की जरूरतों पर विचार के लिए एक विशेष बैठक जुलाई में होगी. उसका केवल यही एक एजेंडा होगा.मार्च में भी हुई थी बैठक-कोरोना संकट के में पहली जीएसटी काउंसिल की बैठक वीडियो कान्फ्रेंसिंग के ज़रिए हुई. इससे पहले मार्च में हुई जीएसटी काउंसिल की 39वीं बैठक में भी कोरोना वायरस को लेकर अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चर्चा हुई थी. उस दौरान भारत में कोरोना वायरस के मामले बेहद कम थे और लॉकडाउन का भी फैसला नहीं लिया गया था.

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