Monday, 15 April 2019

क्या मेनका गांधी के लिए सुल्तानपुर लोकसभा सीट के ये आंकड़े हैं खतरे की घंटी

 उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर लोकसभा सीटपर इस बार मुकाबला दिलचस्प हो गया है. 2014 में पौने दो लाख वोट के अंतर से चुनाव जीतने वाले वरुण गांधी की जगह जब बीजेपी ने इस सीट से उनकी मां
मेनका गांधी को मैदान में उतारा, तभी इसके सियासी मायने निकाले जाने लगे. कहा गया कि सीटों की अदलाबदली का सुझाव खुद मेनका गांधी ने दिया था, क्योंकि उन्हें आशंका थी कि सुल्तानपुर में वरुण की स्थिति 2014 जितनी मजबूत नहीं रही. एक तरफ गठबंधन उनके लिए खतरा था, तो दूसरी तरफ कांग्रेस भी मजबूती से ताल ठोंक रही थी. ऐसे में सुल्तानपुर से खुद मेनका गांधी मैदान में उतरीं और बेटे वरुण को अपनी सीट पीलीभीत भेज दिया. लेकिन मेनका गांधीके लिए भी सुल्तानपुर की राह आसान नजर नहीं आ है.  चुनावों की बात करें तो वरुण गांधी को 4 लाख 10 हजार के आसपास वोट मिले थे. जबकि दूसरे स्थान पर रहने वाली बीएसपी के उम्मीदवार पवन पांडे को 2 लाख 31 के करीब वोट मिले थे. इसी तरह समाजवादी पार्टी (सपा) के शकील अहमद को 2 लाख 28 हजार और कांग्रेस की अमिता सिंह की झोली में 41 हजार के करीब वोट आए थे. लेकिन इस बार हालात बदले नजर आ रहे हैं. सपा-बसपा गठबंधन के बाद सुल्तानपुर की सीट बसपा के खाते में गई है और पार्टी ने  यहां से चंद्रभद्र सिंह को मैदान में उतारा है. अगर पिछले चुनावों की बात करें तो सपा-बसपा के खाते में साढ़े चार लाख से ज्यादा वोट गए थे, जो वरुण गांधी को मिले कुल वोट से ज्यादा है. इस बार सपा-बसपा (SP-BSP) साथ हैं, जो खासकर बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है. 

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