Friday 19 April 2019

2 जून 1995 : गेस्ट हाउस कांड की पूरी कहानी, जानें क्या हुआ था उस दिन

मायावती मुलायम को पागल खाने भेजने की बात कहती थीं और फिर दोनों ओर से बयानों के तीर मर्यादाओं को तार-तार कर देते थे. ऐसा नहीं था कि दोनों के बीच हमेशा से ही दुश्मनी थी, दोनों नेता एक साथ मिलकर बना चुके हैं. लेकिन तारीख 2 जून 1995 को हुए  गेस्ट हाउस कांड  ने न सिर्फ दोनों को कट्टर दुश्मन बना दिया बल्कि खाई इतनी चौड़ी हो गई कि सियासी मतभेद एक दूसरे को देख लेने जैसे चुनौती में बदल गए. गेस्ट हाउस कांड के बाद एक पूरी पीढ़ी बदल गई और अब फिर दोनों के एक साथ हैं और मैनपुरी में 19 अप्रैल 2019 की तारीख दोनों की दोस्ती की गवाह बन गई. 1993 में बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव और बीएसपी प्रमुख कांशीराम ने गठजोड़ किया था. उस समय उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश का हिस्सा था और कुल सीट थीं 422. मुलायम 256 सीट पर लड़े और बीएसपी को 164 सीट दी थीं. चुनाव में एसपी और बीएसपी गठबंधन जीता. एसपी को 109 और बीएसपी को 67 सीट मिली थीं इसके बाद मुलायम सिंह यादव बीएसपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने. लेकिन, आपसी मनमुटाव के चलते 2 जून, 1995 को बसपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया और समर्थन वापसी की घोषणा कर दी. इस वजह से मुलायम सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई. सरकार को बचाने के लिए जोड़-घटाव किए जाने लगे. ऐसे में अंत में जब बात नहीं बनी तो नाराज सपा के कार्यकर्ता और विधायक लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस पहुंच गए, जहां मायावती कमरा नंबर-1 में ठहरी हुई थीं.  2 जून 1995 के दिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में जो हुआ वह शायद ही कहीं हुआ होगा. मायावती पर गेस्ट हाउस के कमरा नंबर एक में हमला हुआ था

No comments:

Post a Comment

बीजेपी नेता रवि तिवारी ने सनातन धर्म और वैदिक शिक्षा का महत्व समझाया

 बीजेपी के युवा एवं उभरते हुए नेता रवि तिवारी  ने आज सनातन धर्म की पृष्ठभूमि पर आधारिक वैदिक शिक्षानीति को पुनः लागू करने की सम्भावनाओ एवं आ...