Monday 8 June 2020

इंदौर में 24 दिन बाद दी गई कोरोना से मरीज की मौत की जानकारी,

इंदौर: देश में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल इंदौर में इस महामारी से मरीजों की मौत की आधिकारिक जानकारी देरी से साझा किये जाने का सिलसिला तमाम आलोचनाओं के बावजूद जारी है. स्वास्थ्य विभाग के रवैये पर सवाल उठाते हुए एक गैर सरकारी संगठन ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह स्वतंत्र समिति से इस विलम्ब की जांच कराते हुए जिले में इस महामारी से मरे लोगों की संख्या का खुलासा करे. ताजा मामले में कोविड-19 से एक मरीज की मौत की जानकारी 24 दिन की देरी से दी गयी है. स्वास्थ्य विभाग के एक आला अधिकारी ने बताया कि कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद 56 वर्षीय पुरुष को यहां एक निजी अस्पताल में 13 मई को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था. उसने इसके अगले ही दिन यानी इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था. हालांकि, इस मरीज की मौत की आधिकारिक जानकारी इसके 24 दिन बाद स्वास्थ्य विभाग ने रात जारी बुलेटिन के साथ दी गयी है. इसके साथ ही जिले में कोविड-19 की चपेट में आकर दम तोड़ने वाले मरीजों की तादाद 157 पर पहुंच गयी है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने कहा कि विभाग गुजरे दिनों में स्थानीय अस्पतालों में कोविड-19 से मरने वाले मरीजों के रिकॉर्ड की जांच कर रहा है और इस दौरान उसे 56 वर्षीय मरीज की मौत की जानकारी मिली है. उन्होंने कहा कि संबंधित अस्पताल द्वारा इस मौत की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को कथित तौर पर देरी से दिये जाने के मामले की पड़ताल की जा रही है. जिले में कोविड-19 से मरने वाले लोगों का आधिकारिक ब्योरा देरी से दिये जाने को लेकर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के साथ ही गैर सरकारी संगठन भी आरोप लगा रहे हैं कि स्वास्थ्य विभाग इन मौतों का खुलासा "अपनी सुविधानुसार" कर रहा है, जिससे महामारी के सरकारी आंकड़ों की विश्वसनीयता को लेकर संदेह पैदा होता है. गैर सरकारी संगठन "जन स्वास्थ्य अभियान मध्यप्रदेश" के सह-समन्वयक अमूल्य निधि ने कहा, "इंदौर में कोविड-19 से मरीजों की मौत की आधिकारिक जानकारी दिये जाने में लगातार देरी होना बेहद गंभीर मसला है, जो इस महामारी के प्रकोप के सरकारी आंकड़ों को लेकर स्वास्थ्य विभाग को संदेह के घेरे में खड़ा करता है." उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार को एक स्वतन्त्र समिति गठित कर इस बात की जांच करानी चाहिये कि इंदौर में अब तक कोविड-19 से कुल कितने मरीजों की मौत हुई है. इस जांच के तहत मृत मरीजों के परिजनों के बयान भी लिये जाने चाहिये.

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