Tuesday 18 February 2020

प्रशांत किशोर ने नीतीश को 'फेल' तो बताया लेकिन पास होने का फॉर्मूला कहां ?


प्रशांत किशोर भूल गए कि नीतीश ने उन्हें बिहार के विकास के लिए बने मिशन का सर्वेसर्वा बनाया लेकिन मैदान छोड़ भाग गए थे। प्रशांत किशोर आश्वस्त नजर नहीं आ रहे थे। उनके पास कोई ठोस योजना या राजनैतिक विकल्प का खाका नहीं है। बिहार में बीजेपी के प्राथमिक सदस्यों की संख्या ही 90 लाख है। संगठन के तौर पर पीके का आई-पैक कहीं नहीं ठहरता। नेता निर्माण की प्रक्रिया से गुजर रहे प्रशांत किशोर ने पटना में अपने राजनीतिक भविष्य का खाका खींचा। चुनाव रणनीतिकार से नेता बन रहे प्रशांत किशोर किसी टीवी डिबेट पर बैठे विपक्ष के नेता की तरह दिखाई दे रहे थे। वो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में हर वो बुराई बताई रहे थे जो पार्टी से निकाले जाने के बाद किसी नेता को नजर आने लगती है। मानो वो बिहार विधानसभा में नीतीश सरकार के कामकाज का श्वेत पत्र जारी कर रहे हों। बतौर नेता पीके असहज भी थे और आत्मविश्वास की कमी भी दिख रही थी। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) से निकाले जाने के बाद प्रशांत किशोर के अगले कदम का इंतज़ार लंबे समय से हो रहा था। पहले 11 को वो ऐलान करने वाले थे। बाद में इसे 18 फरवरी कर दिया। मतलब उस मंगलवार के बदले इस मंगलवार का शुभ दिन उन्हें मुफीद लगा। मंगलवार को ही दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के साथ उनकी तस्वीर सामने आई थी। उस दिन दिल्ली में आम आदमी पार्टी की बड़ी जीत हुई थी।लेकिन प्रशांत किशोर ने जो खाका रखा उसमें कोई दम नहीं था। वो संशय में थे। पीके ने कहा कि चुनाव नहीं लड़ेंगे। नेता चुनाव लड़ने से परहेज करे तो समझिए बुनियादी दिक्कत है। उन्होंने अपनी संस्था इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमिटी का जिक्र कर बताया कि लाखों युवा उनसे जुड़े हुए हैं। प्रशांत किशोर ने कहा कि वो 'बात बिहार की' कार्यक्रम के जरिए पंचायत कर पहुंचेंगे। जिस दिन एक करोड़ बिहारी युवा कनेक्ट हो गए उस दिन बताएंगे कि राजनीतिक पार्टी लॉंच की जाए या नहीं। मतलब कनफ्यूजन पूरा है।

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