नई दिल्ली राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत और अपने मिशन के प्रति पूरी तरह समर्पित संगठन संस्कृत भारती पिछले 37 वर्ष से संस्कृत के प्रचार-प्रसार और भारतीय संस्कृति के पोषण के काम को गति दे रहा है। इस संस्था के 111 पूर्णकालिक समर्पित सदस्य हैं और इसकी मिजोरम और नागालैण्ड को छोड़कर सभी राज्यों में शाखायें हैं। देश में 583 जिलों में कुल मिलाकर 3400 ईकाइयों के माध्यम से किए जा रहे संस्कृत भारती के कार्य की समाज के सभी वर्गो ने सराहना की है। यह संगठन पहली बार नई दिल्ली में 9 नवम्बर से 11 नवम्बर के बीच 3 तीन का संस्कृत भारती विश्व सम्मेलन का आयोजन कर रहा है जिसमें भारत समेत 18 देशों के संस्कृत विद्वान संस्कृत परिवार, संस्कृत में वार्तालाप करने वाले बालक तथा विश्वविद्यालयों के कुलपति उपकुलपति, संस्कृत के प्रकाण्ड पण्डित और संस्कृत में रुचि रखने वाले सामान्य जन भाग लेंगे। सही मायनों में यह संस्कृत सम्मलेन का एक महाकुम्भ होगा जहां से समूचे विश्व को संस्कृत की उपयोगिता, प्रासंगिकता और आवश्यकता का संदेश जायेगा। इस विशाल आयोजन की स्वागत समिति के अध्यक्ष एवं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्षवर्धन ने आज इस अभूतपूर्व सम्मेलन का विवरण देने के लिए एक संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित किया
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