Friday, 5 April 2019

2019: चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि, महत्व और अखंड ज्‍योति के नियम


6 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि) शुरू हो रहे हैं, जो कि 14 अप्रैल तक चलेंगे. साल में सबसे पहले आने वाले इस नवरात्रि के साथ-साथ हिंदू नव वर्ष भी मनाया जाता है. इसे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा (इसे मराठी नव वर्ष के तौर पर भी जाना जाता हैकहा जाता है. कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इस पर्व को उगादि के रूप में मनाया जाता है. हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार हर साल चैत्र महीने के पहले दिन से ही नव वर्ष की शुरुआत हो जाती है. साथ ही इसी दिन से चैत्र नवरात्रि भी शुरू हो जाते हैं. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है. साल में दो बार नवरात्र‍ि पड़ती हैं, जिन्‍हें चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है.
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक हर साल चैत्र महीने के पहले दिन से ही चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है. चैत्र महीने की शुरुआत होते ही नौ दिनों तक चैत्र नवरात्रि की धूम रहती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक यह त्‍योहार हर साल मार्च या अप्रैल महीने में आता है. इस बार चैत्र नवरात्रि 6 अप्रैल से 14 अप्रैल तक चलें
साल में चार बार नवरात्रि आती है. आषाढ़ और माघ में आने वाले नवरात्र गुप्त नवरात्रि होते हैं जबकि चैत्र और अश्विन प्रगट नवरात्रि होते हैं. चैत्र के ये नवरात्र पहले प्रगट नवरात्रि होते हैं. चैत्र नवरात्र से हिन्‍दू वर्ष की शुरुआत होती है. वहीं शारदीय नवरात्र के दौरान दशहरा मनाया जाता है. बता दें, हिन्‍दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्‍व है. नवरात्रि के नौ दिनों को बेहद पवित्र माना जाता है. इस दौरान लोग देवी के नौ रूपों की आराधना कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं. मान्‍यता है कि इन नौ दिनों में जो भी सच्‍चे मन से मां दुर्गा की पूजा करता है उसकी सभी इच्‍छाएं पूर्ण होती हैं. 

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